The Diplomat (2025) एक गहन और संतुलित पॉलिटिकल थ्रिलर है जिसमें जॉन अब्राहम एक राजनयिक की भूमिका निभा रहे हैं। जानिए इस फिल्म की पूरी समीक्षा और रेटिंग।


द डिप्लोमैट (2025) – फिल्म समीक्षा
निर्देशक: शिवम नायर
लेखक: रितेश शाह
मुख्य कलाकार: जॉन अब्राहम, सादिया खतीब, कुमुद मिश्रा, शारिब हाशमी, रेवती
शैली: पॉलिटिकल एक्शन थ्रिलर
भाषा: हिंदी
रनटाइम: 137 मिनट
रिलीज़ डेट: 14 मार्च 2025
बजट: ₹20 करोड़
बॉक्स ऑफिस कलेक्शन: ₹53 करोड़ (अनुमानित)
निर्माता: टी-सीरीज़, जेए एंटरटेनमेंट, वकाओ फिल्म्स, फॉर्च्यून पिक्चर्स
परिचय
द डिप्लोमैट (2025) एक गंभीर और संतुलित राजनीतिक एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर आधारित है। यह फिल्म राजनयिकों की भूमिका, अंतरराष्ट्रीय दबाव, और देशभक्ति को लेकर एक संवेदनशील और परिपक्व नजरिया पेश करती है।
निर्देशक शिवम नायर और लेखक रितेश शाह इस फिल्म को तथ्यात्मक, संवादात्मक और कूटनीतिक शैली में पेश करते हैं। जॉन अब्राहम, जो एक राजनयिक की भूमिका निभा रहे हैं, एक शांत लेकिन सशक्त प्रदर्शन देते हैं।
कहानी सारांश
कहानी शुरू होती है एक तनावपूर्ण स्थिति से, जब पाकिस्तान में भारतीय नागरिकों को बंधक बना लिया जाता है। भारत सरकार कबीर आनंद (जॉन अब्राहम) को इस कूटनीतिक संकट को संभालने की जिम्मेदारी सौंपती है। कबीर एक अनुभवी लेकिन अलग सोच रखने वाले राजनयिक हैं, जो हमेशा नियमों से हटकर काम करते हैं।
उन्हें सहयोग मिलता है नाज़िया (सादिया खतीब) से, जो एक युवा और नयी अफसर हैं। जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ती है, मामला राजनीतिक दबाव, खुफिया जानकारी की लीकेज और आतंकी साजिशों की ओर मुड़ता है। कबीर को देश की प्रतिष्ठा, मानवता और अपने निजी सिद्धांतों के बीच संतुलन बनाना होता है।
अभिनय
जॉन अब्राहम ने कबीर आनंद की भूमिका में जबरदस्त संतुलन और गंभीरता दिखाई है। उनके प्रदर्शन में एक ऐसी परिपक्वता है जो अब तक की उनकी एक्शन-प्रधान छवि से हटकर है। वे शांत, संयमी और भीतर से जुझते हुए दिखते हैं।
सादिया खतीब एक फ्रेश और प्रभावशाली उपस्थिति के साथ स्क्रीन पर चमकती हैं। उनकी भूमिका एक मजबूत महिला किरदार को दर्शाती है जो सीखती है, बढ़ती है और साथ देती है।
कुमुद मिश्रा, शारिब हाशमी और रेवती जैसे कलाकारों ने अपने अनुभव से फिल्म की गुणवत्ता को और ऊंचा किया है। हर किरदार के पीछे सोच और उद्देश्य साफ दिखता है।
निर्देशन और लेखन
शिवम नायर का निर्देशन बेहद संतुलित और यथार्थवादी है। वे घटनाओं को ड्रामा बनाने के बजाय तथ्यों और संवेदनाओं के माध्यम से दर्शाते हैं। रितेश शाह की स्क्रिप्ट गहन है, जो राजनीति, कूटनीति और मानवीय मूल्यों की टकराहट को खूबसूरती से दर्शाती है।
यह फिल्म राष्ट्रवाद की चीख-पुकार से दूर रहकर असली कूटनीति, फैसलों की नैतिकता, और देशभक्ति के गहरे अर्थों को सामने लाती है।
मुख्य विषय और संदेश
फिल्म में निम्नलिखित विषयों को प्रभावी रूप से उठाया गया है:
- आधुनिक समय में राजनयिकों की भूमिका
- युद्ध और शांति के बीच नैतिक संघर्ष
- सिस्टम में मौजूद अंदरूनी दुश्मन
- मीडिया की भूमिका और गलत सूचना का प्रभाव
- व्यक्तिगत सिद्धांत बनाम राष्ट्र की सेवा
तकनीकी पक्ष
डायमो पोपोव की सिनेमैटोग्राफी फिल्म को एक इंटरनेशनल लुक और रियलिज़्म देती है। चाहे वो दिल्ली के सरकारी दफ्तर हों या पाकिस्तान की गलियां—हर फ्रेम माहौल को उभारता है।
कुनाल वाल्वे की एडिटिंग फिल्म को चुस्त और धारदार बनाए रखती है, खासकर दूसरे हाफ में जहाँ नाटक चरम पर पहुंचता है।
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर
फिल्म का संगीत ए.आर. रहमान, मनन भारद्वाज और अनुराग सैकिया ने तैयार किया है। गाने सीमित हैं लेकिन भावनाओं को गहराई से छूते हैं। इशान छाबड़ा का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के तनाव और गंभीरता को प्रभावी रूप से बढ़ाता है।
अंतिम निष्कर्ष
द डिप्लोमैट एक ऐसा थ्रिलर है जो नारेबाजी से दूर रहकर वास्तविकता, राजनयिक संघर्ष और देशभक्ति का सही चित्रण करता है। यह फिल्म जॉन अब्राहम की सबसे संतुलित और परिपक्व भूमिकाओं में से एक है।
यदि आप एक गंभीर, सोचने पर मजबूर करने वाली राजनीतिक फिल्म देखना चाहते हैं, तो The Diplomat 2025 आपके लिए जरूर देखने लायक है।
Best Movie Review(BMR) Rating: 4.2/5
सकारात्मक पहलू:
- जॉन अब्राहम का गंभीर और सधा हुआ अभिनय
- वास्तविक और बिना अतिरंजना वाली कहानी
- मजबूत लेखन और निर्देशन
- देशभक्ति पर नया दृष्टिकोण
- अच्छा बैकग्राउंड स्कोर
नकारात्मक पहलू:
- पहली आधा थोड़ा धीमा
- कुछ किरदारों की पृष्ठभूमि और बेहतर हो सकती थी