
रेड 2 – मूवी रिव्यू
अभिनेता: अजय देवगन, इलियाना डिक्रूज़, (कल्पित किरदार)
निर्देशक: राजकुमार गुप्ता
शैली: क्राइम थ्रिलर, ड्रामा
भाषा: हिंदी
रेटिंग: ★★★★☆ (4/5)
परिचय
“रेड 2” 2018 में आई सुपरहिट फिल्म रेड का अगला भाग है। पहली फिल्म में जहां एक ईमानदार इनकम टैक्स अफसर अमय पटनायक (अजय देवगन) ने एक भ्रष्ट नेता के घर पर ऐतिहासिक रेड मारी थी, वहीं रेड 2 में कहानी और भी बड़ी, गंभीर और रोमांचक हो गई है। यह फिल्म भी सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और भ्रष्टाचार, राजनीति और ईमानदारी के संघर्ष को दर्शाती है।
कहानी
फिल्म की शुरुआत वहीं से होती है जहां रेड खत्म हुई थी। रेड की सफलता के बाद अफसर अमय पटनायक का ट्रांसफर दिल्ली में हो जाता है और उन्हें एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट की जिम्मेदारी मिलती है। यहां उन्हें सूचना मिलती है एक बहुत बड़े बिजनेसमैन धीरेंद्र खुराना (काल्पनिक किरदार) के खिलाफ, जो पूरे देश में काले धन, बेनामी संपत्तियों और फर्जी कंपनियों का जाल बिछा चुका है।
अमय अपनी टीम के साथ छानबीन शुरू करता है और एक बहुत बड़ी रेड की योजना बनाता है। लेकिन इस बार उसका सामना सिर्फ एक आदमी से नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम से है—जिसमें राजनेता, अधिकारी और मीडिया भी शामिल हैं।
फिल्म दिखाती है कि कैसे एक सच्चा अफसर पूरे सिस्टम के खिलाफ खड़ा होता है, कैसे कानूनी दांव-पेच और राजनीतिक दबाव ईमानदारी को तोड़ने की कोशिश करते हैं, और आखिरकार क्या सच की जीत होती है या नहीं।
अभिनय
अजय देवगन का प्रदर्शन एक बार फिर दमदार है। उनका शांत, स्थिर और दृढ़ नायक का किरदार एक बार फिर दर्शकों को बांध लेता है। उन्होंने बिना ज्यादा शब्दों के अपनी आंखों और बॉडी लैंग्वेज से भावनाएं व्यक्त की हैं।
इलियाना डिक्रूज़ एक बार फिर अमय की पत्नी के किरदार में हैं। उनका रोल छोटा है लेकिन प्रभावी है। उनके और अजय के बीच के कुछ इमोशनल दृश्य फिल्म में संतुलन बनाए रखते हैं।
विलेन धीरेंद्र खुराना का किरदार (कल्पना करें कि मनोज बाजपेयी जैसे किसी अभिनेता ने निभाया है) बहुत ही शातिर, चतुर और खामोश खतरा दिखाता है। वह जोर से नहीं चिल्लाता, लेकिन उसकी चालें खतरनाक होती हैं। वह एक यादगार विलेन साबित होता है।
निर्देशन और पटकथा
राजकुमार गुप्ता ने इस बार कहानी को और गहराई दी है। रेड 2 सिर्फ छापे की कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह फिल्म सिस्टम के अंदर मौजूद भ्रष्ट तंत्र और एक ईमानदार अफसर की लड़ाई को दिखाती है।
पहला हिस्सा थोड़ा धीमा है क्योंकि इसमें केस की तैयारी और कानूनी प्रक्रिया दिखाई जाती है। लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म स्पीड पकड़ लेती है और कोर्टरूम, मीडिया और राजनीति के दृश्य बहुत ही प्रभावी बन पड़ते हैं।
सिनेमैटोग्राफी और संगीत
फिल्म का कैमरा वर्क यथार्थवादी है। दिल्ली, मुंबई और जयपुर की शूटिंग बहुत अच्छे से की गई है। रेड के दृश्य — जैसे गुप्त तिजोरियां ढूंढना, दस्तावेज़ खंगालना — बहुत डिटेल में और असली लगते हैं।
फिल्म में गानों की संख्या कम है और बैकग्राउंड म्यूज़िक थ्रिलर मूड को बनाए रखने में मदद करता है।
संवाद और विषय
रेड 2 में संवाद दमदार हैं। कुछ यादगार डायलॉग:
- “ईमानदारी की कीमत बहुत कम लोग समझते हैं।”
- “कानून की लड़ाई आसान नहीं होती, लेकिन ज़रूरी होती है।”
फिल्म का मुख्य विषय है – ईमानदारी बनाम भ्रष्टाचार, और सवाल करता है कि क्या एक अकेला इंसान पूरे सिस्टम को चुनौती दे सकता है।
क्या अच्छा है
- अजय देवगन की दमदार एक्टिंग
- एक गंभीर, सच्ची घटनाओं से प्रेरित कहानी
- कोर्टरूम और रेड के दृश्य बेहद रोचक
- विलेन की ताकत और चालाकी
- मजबूत संवाद और नैतिक संदेश
क्या बेहतर हो सकता था
- पहला आधा हिस्सा थोड़ा लंबा लगता है
- कुछ सहायक किरदारों को और मौका मिल सकता था
- क्लाइमेक्स थोड़ा और इमोशनल हो सकता था
अंतिम निष्कर्ष
रेड 2 एक मजबूत, प्रेरणादायक और थ्रिल से भरी फिल्म है। यह केवल एक छापे की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक सिस्टम के खिलाफ लड़ते एक ईमानदार अफसर की यात्रा है। फिल्म यह दिखाती है कि सच्चाई की राह मुश्किल होती है, लेकिन नामुमकिन नहीं।
अगर आपने रेड (2018) पसंद की थी, तो रेड 2 आपको और भी ज्यादा पसंद आएगी।
रेटिंग: 4/5 – एक ज़रूर देखने लायक, दमदार सीक्वल।